
गाय का हत्यारा कौन है? अकबर खान या फिर गो रक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये का चंदा बटोरने वाले
देश में जहां गाय के पालनहारों को हत्यारा बता कर उनकी हत्या की जा रही है वही गाय अपनी दुर्दशा पर खून के आंसू रो रहीं हैं। दूधिया गाय को दूध की मशीन समझता है और दूध निकालने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है उनकी दशा पर । चाहे उन्हें भोजन मिले चाहे न मिले। उनके सोने और बैठने का कोई इंतजाम नही है। ज्यादातर मायें शहरों के कूड़ा घरों और गंदे स्थानों पर फेके गए सब्जी और सड़े गले खाद्य सामग्री को खा कर जिंदा है।
क्या माँ का स्थान यही होता है?
देशभर के शहरों में गाय का यही हाल है। कौन हैं यह लोग?
अकबर खान या फिर अमर सिंह!
इसका जवाब कौन देगा?
जब तक जिंदा है तब कोई न कोई उनका दोहन करता है और जब मर जाती हैं तो निगम के लोग उनके वारिश बनकर लाश का अंतिम संस्कार करते है।
देश भर के शहरों की बात करें तो लाखों गायों का यही हाल है और बिडम्बना देखिये की इन्हीं शहरों में सबसे ज्यादा गो रक्षक और उनके नाम पर फलने फूलने वाली संस्थाएं भी है जो प्रतिमाह करोड़ों रुपए गो सेवा और रक्षा के नाम पर बटोर रही हैं।
मैं पूछना चाहता हूं गौ रक्षक दल को चलाने वाले और उनके समर्थकों से की गाय का असली हत्यारा कौन है?
अलवर का वह अकबर जो अपने बच्चों के दूध के लिए गाय का पालन करता था। अपने घर में रख कर उसका पालन पोषण करता था और एक गाय और लेकर जा रहा था पालने के लिये। जिसे तुमने पीट पीट कर मार डाला या फिर वह लोग जो सिर्फ दोहन के लिए / चंदा के लिए / नेतागिरी के लिए गाय के भक्त और पालक बने हुए है।
नोयडा के बरौला में बिजली का करंट लगने से एक माँ मर गयी। 100 करोड़ बेटों में एक भी बेटा सुध लेने नही आया। आओ मारो बिजली विभाग वालों को, आग लगा दो बिजली घर में।
नहीं आओगे तुम लोग! मैं जानता हूँ कि तुम गाय के नाम पर सियासत कर रहे हों और सच्चाई यह है कि गाय के असली हत्यारे तुम हो जो रक्षक का चोला पहन का समाज को ठगने का काम कर रहे हो।
By: KD Siddiqui, editorgulistan@gmail.com