
राष्ट्र से बड़ा कुछ नहीं है सत्ता तो आती जाती रहती है..
सघीय विचार धारा और राजनीति से ऊपर उठ कर सोचने वाले राष्ट्र और लोकतंत्र के सच्चे सिपाही थे वाजपेयी जी। आपने जहां बाबरी मस्जिद विध्वंस पर खेद जताया था, वहीं गुजरात नरसंहार पर मोदी को राजधर्म का पालन करने की नसीहत भी दिया था। आप ने सत्ता के सुख के लिए कभी भी सामाजिक खंडन नही किया।
वही बोलते थे जिससे राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बल मिलता था। अपनी कविताओं के माध्यम से अटल जी सदैव देशवासियों में राष्ट्र प्रेम और राष्ट्रभक्ति की भावना को जगाने का काम करते थे। आपने सदैव राष्ट्र के सर्व समाज को एक सूत्र में पिरोने और भारत की संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिये काम किया। कहते थे कि राष्ट्र से बड़ा कुछ नही है सत्ता तो आती जाती रहती हैं, पार्टियां बनती बिगड़ती रहती हैं लेकिन राष्ट्र रोज नही बनता। सादगी और मृदुभाषी अटल जी की सभाओं में हर समाज और वर्ग के लोग शामिल होते थे।
आप ने सियासत के लिए कभी भी समाज को मोहरा नही बनाया। कट्टर हिंदूवादी नेता अटल विहारी ने कभी मुसलमानों के प्रति नफरत या भेदभाव की बात नहीं किया।
आप सदा समग्र एवं सर्वांगीण भारत के विकास का सपना देखा। देश के गरीबों और मुख्य धारा से कटे हुए समाज को मुख्य धारा से जोड़ने और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए वाजपेयी जी ने जीवन भर कार्य किया। वाजपेयी जी देश में बढ़ती नफरत और ऊंच नीच की खाई से बहुत दुखी थे। वे अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी राष्ट्रीय एकता के लिए चिंतित दिखाई दिए
युग रचयिता को शत शत नमन।
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